Sunday 6 August 2017

What is Goods and Service Tax – GST (जीएसटी क्या है इससे जुड़े अपने सारे सवालों के जवाब)

What is Goods and Service Tax – GST क्या है?

                                   जीएसटी (GST), भारत के कर ढांचें में सुधार का एक बहुत बड़ा कदम है। वस्तु एंव सेवा कर (Goods and Service Tax) एक अप्रत्यक्ष कर कानून है (Indirect Tax) है। 
                 जीएसटी एक एकीकृत कर है जो वस्तुओं और सेवाओं दोनों पर लगेगा। जीएसटी लागू होने से पूरा देश,एकीकृत बाजार में तब्दील हो जाएगा ,और ज्यादातर अप्रत्यक्ष कर जैसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क (Excise), सेवा कर (Service Tax), वैट (Vat), मनोरंजन, विलासिता, लॉटरी टैक्स आदि जीएसटी में समाहित हो जाएंगे।  
                                                            इससे पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा |अभी आप देख रहे होंगे की एक हीं सामान का अलग अलग states में अलग अलग rate होता है लेकिन GST के लागू होते हीं ऐसा नहीं होगा।  

टैक्स पर टैक्स की व्यवस्था समाप्त होगी  – GST will eliminate Cascading Effect


                                                     अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxation System) व्यवस्था में कर-भार अंतिम उपभोक्ता को वहन करना पड़ता है, लेकिन कर का संग्रहण (Collection of Tax) व्यवसायियों द्वारा किया जाता है। व्यवसायी को ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर की क्रेडिट (Input Credit) मिलती है जिसका उपयोग वह अपने कर के भुगतान में कर सकता है। इस व्यवस्था से कर केवल मूल्य संवर्धन (बिक्री – खरीद) या (Value Addition) पर ही लगता है। व्यवसायी उपभोक्ता से कर संग्रहित करता है और उसमें से अपनी इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) को घटाकर बाकी कर सरकार को जमा करवाते है।

                            लेकिन वर्तमान व्यवस्था में भारत में केंद्र सरकार द्वारा उत्पाद शुल्क(Excise Duty) व सेवा कर (Service Tax) और राज्य सरकार द्वारा बिक्री कर(VAT or Sales Tax) लगाया जाता है।  इस कारण व्यवसायी को उत्पाद शुल्क और सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर ) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता।  इस कारण वर्तमान व्यवस्था में टैक्स पर टैक्स लग जाता है, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बढ़ जाती है ।

                                                                            GST लागू होने से पूरे देश में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर होगा जिससे व्यवसायियों को ख़रीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की पूरी क्रेडिट (Credit) मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे टैक्स केवल मूल्य संवर्धन पर ही लगेगा और टैक्स पर टैक्स लगाने की व्यवस्था समाप्त होगी जिससे लागत में कमी आएगी।
 

जीएसटी की मुख्य बातें – Benefits/Salient features of GST


  1. GST केवल अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत करेगा, प्रत्यक्ष कर जैसे आय-कर आदि वर्तमान व्यवस्था के अनुसार ही लगेंगे।
  2. जीएसटी के लागू होने से पूरे भारत में एक ही प्रकार का अप्रत्यक्ष कर लगेगा जिससे वस्तुओं और सेवाओं की लागत में स्थिरता आएगी
  3. संघीय ढांचे को बनाए रखने के लिए जीएसटी दो स्तर पर लगेगा – सीजीएसटी (केंद्रीय वस्तु एंव सेवा कर) और एसजीएसटी (राज्य वस्तु एंव सेवा कर)। सीजीएसटी का हिस्सा केंद्र को और एसजीएसटी का हिस्सा राज्य सरकार को प्राप्त होगा।एक राज्य से दूसरे राज्य में वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री की स्थति में आईजीएसटी (एकीकृत वस्तु एंव सेवाकर) लगेगा। आईजीएसटी का एक हिस्सा केंद्रसरकार और दूसरा हिस्सा वस्तु या सेवा का उपभोग करने वाले राज्य को प्राप्त होगा।
  4. व्यवसायी ख़रीदी गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी की इनपुट क्रेडिट ले सकेंगे जिनका उपयोग वे बेचीं गई वस्तुओं और सेवाओं पर लगने वाले जीएसटी के भुगतान में कर सकेंगे।सीजीएसटी की इनपुट क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी व सीजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान, एसजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग एसजीएसटी व आईजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान और आईजीएसटी की क्रेडिट का उपयोग आईजीएसटी, सीजीएसटी व एसजीएसटी के आउटपुट टैक्स के भुगतान में किया जा सकेगा ।
  5. GST के तहत उन सभी व्यवसायी, उत्पादक या सेवा प्रदाता को रजिस्टर्ड होना होगा जिन की वर्षभर में कुल बिक्री का मूल्य एक निश्चित मूल्य से ज्यादा है।
  6. प्रस्तावित जीएसटी में व्यवसायियों को मुख्य रूप से तीन अलग अलग प्रकार के टैक्स रिटर्न भरने होंगे जिसमें इनपुट टैक्स, आउटपुट टैक्स और एकीकृत रिटर्न शामिल है।

जीएसटी का आम लोगों पर प्रभाव – Impact of GST on General Public

  • अप्रत्यक्ष करों का भार अंतिम उपभोक्ता को ही वहन करना पड़ता है। वर्तमान में एक ही वस्तुओं पर विभिन्न प्रकार के अलग अलग टैक्स लगते है लेकिन जीएसटी आने से सभी वस्तुओं और सेवाओं पर एक ही प्रकार का टैक्स लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी। हालांकि इससे सेवाओं की लागत बढ़ जाएगी
  • दूसरा सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह होगा कि पूरे भारत में एक ही रेट से टैक्स लगेगा जिससे सभी राज्यों में वस्तुओं और सेवाओं की कीमत एक जैसी होगी।
  • Goods and Service Tax Law (GST)  लागू होने से केंद्रीय सेल्स टैक्स (सीएसटी ), जीएसटी में समाहित हो जाएगा जिससे वस्तुओं की कीमतों में कमी आएगी ।
  

जीएसटी का व्यवसायों पर प्रभाव – Impact of GST on Businesses 

  1. वर्तमान में व्यवसायों को अलग-अलग प्रकार के अप्रत्यक्ष करों का भुगतान करना पड़ता है जैसे वस्तुओं के उत्पादन करने पर उत्पाद शुल्क, ट्रेडिंग करने पर सेल्स टैक्स, सेवा प्रदान करने पर सर्विस टैक्स आदि। इससे व्यवसायों को विभिन्न प्रकार के कर कानूनों की पालना करनी पड़ती है जो कि बहुत ही मुश्किल एंव जटिल कार्य है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से उन्हें केवल एक ही प्रकार अप्रत्यक्ष क़ानून का पालन करना होगा जिससे भारत में व्यवसाय में सरलता आएगी।
  2. वर्तमान में व्यवसायी, उत्पाद शुल्क व सेवा कर के भुगतान में बिक्री कर की इनपुट क्रेडिट (ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए कर) का उपयोग नहीं कर सकता और बिक्री कर के भुगतान में सेवा कर(सेवाओं पर चुकाए गए कर) और उत्पाद शुल्क (ख़रीदे गए माल पर लगे उत्पाद शुल्क) की क्रेडिट का उपयोग नहीं कर सकता। इस कारण वस्तुओं और सेवाओं की लागत बढ़ जाती है। लेकिन जीएसटी के लागू होने से व्यवसायियों को सभी प्रकार की खरीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं पर चुकाए गए जीएसटी की  पूरी क्रेडिट मिल जाएगी जिसका उपयोग वह बेचीं गयी वस्तुओं और सेवाओं पर लगे जीएसटी के भुगतान में कर सकेगा। इससे लागत में कमी आएगी
  3. ऐसा कहा जा रहा है कि जीएसटी के आने से व्यवसाय करना आसान हो जाएगा लेकिन शुरूआती वर्षों में व्यवसायों को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। उदाहरण के लिए जीएसटी में प्रत्येक महीने में तीन अलग अलग तरह के रिटर्न फाइल करने पड़ेंगे।
  4. वर्तमान में विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों में थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) अलग अलग है।  मुख्य रूप से सेल्स टैक्स में थ्रेसहोल्ड लिमिट 5 लाख, सर्विस टैक्स में 10 लाख और उत्पाद शुल्क में 1.5 करोड़ है। जीएसटी आने से सभी प्रकार के व्यवसायों (ट्रेडिंग, उत्पादक या सेवा प्रदाता ) के लिए एक ही प्रकार की थ्रेसहोल्ड लिमिट (छूट की सीमा) रखने का प्रस्ताव है। यह थ्रेसहोल्ड लिमिट इन तीनों कानूनों (सेल्स टैक्स, सेवा कर और उत्पाद शुल्क) की वर्तमान लिमिट को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी।  जिसका मुख्य प्रभाव यह होगा कि छूट सीमा 50 लाख से कम ही रखी जाएगी जिससे छोटे उत्पादक जो कि वर्तमान में 1.5  करोड़ तक छूट सीमा का फायदा उठा रहे है वे भी जीएसटी के दायरे में आ जाएगें।
  5. वर्तमान में एक राज्य से दुसरे राज्य में माल बेचने पर 2% की दर से केंद्रीय सेल्स टैक्स लगता है जिसकी इनपुट क्रेडिट नहीं मिलती। जीएसटी के लागू होने के बाद से केंद्रीय सेल्स टैक्स नहीं लगेगा जिससे वस्तुओं की लागत में कमी आएगी ।

CGST, SGST और IGST क्या हैं ?

CGST,IGST और SCGT  गुड्स और सर्विस टेक्स के ही पार्ट है जो भारत मे 1 जुलाई से लागु होंगे.

राज्य के भीतर माल बेचने पर CGST(central goods and service tax) तथा SGST(state goods and service tax) लगेगा. 
उदाहरण. यदि कोई राजस्थान का वयक्ति राजस्थान के वयक्ति को माल बेचता है और उस वस्तु और उस वस्तु पर GST की rate18%  है तो 9%CGST तथा 9%SGST लगेगा 
और यदि माल राज्य के बाहर के व्यक्ति को बेचा जाता है तो 18 % की दर से IGSTलगेगा |

Excise Duty, Service Tax,custom duty और अन्य केन्द्रिय अप्र्त्यक्श कर् कि जगह CGST ले लेगा।
Value Added Tax,Entertainment Tax,Entry Tax की जगह SGST ले लेगा।

 GST आने के बाद सेल्स टैक्स या बिक्री कर  क्या होगा:

                                  Goods and Service Tax यानि कि जी.एस.टी. आने से इसके फायदे तो मिलेंगी ही. यह एक “अप्रत्यक्ष कर” है जो राज्यों कि मनमानी को रोकेगा और पुरे देश में एक वस्तु पर एक ही कर कि सिफारिश करेगा.| GST के आने के बाद VAT, Excise और Service Tax जैसे कर की जगह केवल GST लगेगा|                                         जब हम कोई वस्तु खरीदते हैं तो हमसे उसपर टैक्स वसूला जाता है जो हमे उसकी रसीद से पता चलता है. लेकिन हम फिर भी उसकी असली कीमत जानने में असमर्थ होते हैं. ऐसा इसलिए कि उस वस्तु पर “एक्साइज ड्यूटी” सरकार पहले ही लगा चुकी होती है जो कि उसके दाम में कही भी बताया नहीं जाता. पर अब हम इस बात का अंदाज़ा लगा सकते हैं कि जो भी वस्तु हम खरीदेंगे, उस पर सामान्यत: 18% कर चुकाना होगा. 
                            इसका फायदा सबसे बड़ा तो यह होगा कि जब एक टैक्स लागू होगा तो ग्राहक एक बार ही टैक्स ऐडा करेगा जिससे कि टैक्स पर टैक्स देने वाली बात से उसे राहत मिलेगी. यानि कि अब किसी वस्तु पर जो भी टैक्स लगाया जायेगा, वो राज्य और केंद्र दोनों का ही मिला-जुला टैक्स रहेगा.

GST में Registration किसे लेना पड़ता हैं?


                           GST एक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तुओं और सेवाओं  की आपूर्ति (Supply of Goods and Services) पर लगाया जाता हैं| 
               GST के अंतर्गत छोटे कारोबारियों को राहत दी गयी हैं इसलिए ऐसे कारोबारी जिनकी वार्षिक बिक्री 20 लाख रूपये से कम हैं तो उनके द्वारा सप्लाई की गई वस्तुओं और सेवाओं पर GST नहीं लगाया जाएगा| 
                              उत्तरी पूर्वी राज्यों  Arunachal Pradesh, Assam,  Manipur, Meghalaya, Mizoram, Nagaland, Sikkim, Tripura, Himachal Pradesh and Uttarakhand  आदि में यह छूट सीमा 10 लाख रूपये हैं|
                           ऐसे छोटे कारोबारियों को GST Registration लेने की भी अनिवार्यता नहीं होगी  अगर वे वस्तुओं या सेवाओं की अंतर्राज्यीय आपूर्ति (Inter-State Supply) यानी कि एक राज्य से दूसरे राज्य में आपूर्ति नहीं करते| फिर भी अगर वे चाहें तो स्वैच्छिक रूप से GST Registration के लिए Apply कर सकते हैं, लेकिन एक बार GST Registration कर लेने पर टैक्स का भुगतान करने के साथ साथ GST के नियमों का पालन करना होगा भले ही उनका टर्नओवर 20/10 लाख रूपये से कम हो|

GST Registration की अनिवार्यता (Compulsory Requirement)

निम्न परिस्थितियों में GST Registration लेना आवश्यकता हैं:-


सामान्य परिस्थितियां
  1. अगर वार्षिक टर्नओवर 20 लाख रूपये (उत्तरी पूर्वी राज्यों में 10 लाख रूपये) से ज्यादा हैं|
  2. अगर वस्तुओं और सेवाओं की दूसरे राज्य में आपूर्ति की जाती हैं (persons making any inter-State taxable supply)
  3. वह व्यक्ति जो E-Commerce Operator के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री/आपूर्ति करता हैं| (फ़िलहाल सरकार ने इस नियम को टाल दिया हैं)
  4. वह व्यक्ति जो रिवर्स चार्ज के तहत GST भुगतान करने के लिए उतरदायी हैं|
  5. एक इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर
अन्य विशेष परिस्थितियां
  1. वह व्यक्ति जिसे धारा 37 में GST Deduct करना हैं
  2. Casual taxable persons
  3. non-resident taxable persons
  4. every electronic commerce operator
  5. an aggregator who supplies services under his brand name or his trade name

VAT, Service Tax, Excise आदि के वर्तमान करदाताओं के लिए GST Registration की आवश्यकता

                        VAT(sales tax), Service Tax, Excise आदि के वर्तमान करदाताओं को GST में Registration (Migration) करना जरूरी हैं भले ही उनका टर्नओवर कम छूट सीमा (20 या 10 लाख रूपये) के अन्दर हो| एक बार GST लागू होने के बाद अगर उनका टर्नओवर कम हैं और उन्हें GST रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं हैं तो वे अपना GST रजिस्ट्रेशन सरेंडर कर सकते हैं|

छोटे कारोबारियों के लिए Composition Scheme

                         सरकार ने छोटे कारोबारियों जिनका टर्नओवर 50 लाख रूपये तक हैं उनके लिए कम्पोजीशन स्कीम की सुविधा दी हैं| कम्पोजीशन स्कीम में कारोबारियों को GST के बहुत ही कम प्रावधानों का पालन करना पड़ेगा और वे सीधा त्रैमासिक टर्नओवर पर कम रेट से GST का भुगतान कर सकेंगे|  

GST में Composition Scheme क्या हैं? इसके लिए कौन Eligible हैं?

Composition Scheme क्या है?

GST में छोटे व्यवसाय जिनका टर्नओवर 20 लाख रूपये (आसाम और उत्तर-पूर्वी राज्यों में 10 लाख रूपये) तक के हैं उन्हें जीएसटी का भुगतान करने और रजिस्ट्रेशन लेने की आवश्यकता नहीं हैं| इसी प्रकार ऐसे छोटे और माध्यम आकर के व्यवसाय जिनका टर्नओवर 75 लाख रूपये तक हैं उनके लिए GST को सरल करने के लिए कम्पोजीशन स्कीम हैं जिसके तहत व्यवसायी एक निश्चित अवधि की कुल सेल पर सीधा फिक्स रेट से टैक्स दे सकेंगे और उन्हें वर्ष में केवल 5 रिटर्न भरने की आवश्यकता होगी|

Composition Scheme के लिए कौनसे व्यवसाय Eligible (योग्य) हैं?

कम्पोजीशन स्कीम एक वैकल्पिक व्यवस्था हैं| ऐसे व्यवसाय (मैन्युफैक्चरर, ट्रेडर एंव रेस्टोरेंट) जिनका वार्षिक टर्नओवर 75 लाख रूपये तक हैं वे सामान्य रूप से GST देने की बजाय इस Composition Scheme को चुन सकते हैं | अगर व्यवसाय उत्तरी-पूर्वी राज्य (Assam, Arunachal Pradesh, Manipur, Meghalaya, Mizoram, Nagaland, Tripura, Sikkim and Himachal Pradesh) में स्थित हैं तो यह सीमा 50 लाख रूपये तक हैं|
निर्माण क्षेत्र (Manufacturing Sector) में कम्पोजीशन स्कीम, तम्बाकू और आइसक्रीम निर्माताओं के लिए उपलब्ध नहीं हैं|
सेवा क्षेत्र (Service Sector) में कम्पोजीशन स्कीम केवल रेस्टोरेंट व्यवसाय के लिए ही उपलब्ध हैं|

कम्पोजीशन स्कीम में Tax Rate कितनी हैं?

कम्पोजीशन स्कीम में व्यवसायी को कुल बिक्री का एक निश्चित प्रतिशत GST के रूप में जमा करवाना होगा और इस स्कीम में व्यवसायी को ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए GST की इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा| कम्पोजीशन स्कीम के तहत ट्रेडर को 1%, निर्माता को 2% और रेस्तरां मालिक को 5% की फिक्स्ड रेट से GST का भुगतान करना पड़ेगा|
  GST rate of Composition – कम्पोजीशन दर
Traders1%Manufacturers2%Restaurants5%

Composition Scheme के व्यवसाय को कौनसे GST Return फाइल करने होते हैं और उसकी Due Date क्या है?

कम्पोजीशन स्कीम के व्यवसायों को वर्ष में कुल 5 Return फाइल करने होंगे जिसमें से 4 Return त्रेमासिक और 1 Return वार्षिक होगा:-
GSTR-4 (त्रैमासिक विवरण – Quarterly ) तीन महीने समाप्ति के अगले महीने की 18 तारीख
GSTR – 8 (वार्षिक विवरण – Annual) – अगले वित वर्ष के 31 दिसंबर

कम्पोजीशन स्कीम के फायदे (Benefits)

  • व्यवसायों को कम दर से टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा|
  • व्यवसायों को हर महीने 3 Return की जगह तीन महीने में केवल एक बार quarterly return (त्रेमासिक रिटर्न) फाइल करना होगा|
  • कम्पोजीशन स्कीम के व्यवसायों के लिए Detailed Invoice की आवश्यकता नहीं होगी केवल the bill of supply ही काफी होगा|
  • छोटे व्यवसायों को Return में HSN कोड की जानकारी नहीं देनी पड़ेगी|
  • GST से सम्बंधित अन्य Compliance भी आसान होगी|

कम्पोजीशन स्कीम के नुकसान (Demerits of Composition Scheme)

व्यवसायों के लिये कम्पोजीशन स्कीम एक विकल्प हैं जिनका उपयोग वे चाहें तो कर सकते हैं नहीं तो वे सामान्य टैक्स व्यवस्था की पालना कर सकते हैं| इसलिए कम्पोजीशन स्कीम को चुनते समय अच्छे से विश्लेषण कर लेना चाहिए क्योंकि इस स्कीम का सबसे बड़ा नुकसान यह हैं कि आप ख़रीदे गए माल पर चुकाए गए GST की Input Credit नहीं ले सकते| इसके साथ साथ आप बिल में भी GST अलग से नहीं दिखा सकते इसलिए आपके Customer भी आपके द्वारा बेचे गए माल पर इनपुट क्रेडिट का लाभ नहीं ले सकेंगे|
ज्यादात्तर व्यवसायों के लिए कम्पोजीशन स्कीम फायदेमंद ही होती हैं क्योंकि इसमें बहुत ही कम रेट से टैक्स देना होता हैं| लेकिन कुछ व्यवसाय जिनके Input credit की मात्र अधिक होती हैं या फिर वे आगे Credit pass on करना चाहते हैं उनके लिए यह स्कीम नुकसानदायक भी हो सकती हैं|

GST में E-Way Bill क्या हैं? ई-वे कब और कैसे जारी किया जाएगा?


 GST कानून में E-Way Bill जारी करने के क्या प्रावधान हैं? क्या कोई भी माल भेजने (Transport) करने पर E-way Bill जारी करना पड़ेगा| E-Way Bill कौन जारी करेगा और कैसे? GST के बाद माल भेजने की प्रक्रिया भी बाताओ कि कैसे किसी दूसरे शहर से माल मंगाया जाए|
                                               GST एक प्रकार का अप्रत्यक्ष कर हैं जो कि वस्तुओं और सेवाओं की Supply पर लगाया जाता हैं| GST के अंतर्गत वस्तुओं के एक स्थान से मूवमेंट करने पर यानि कि माल को एक स्थान से दूसरे भेजने या प्राप्त करने पर ई-वे बिल (E-way Bill) जारी (Issue) करने का प्रावधान हैं| E-way Bill एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक बिल होगा जिसमें भेजे जाने वाले या प्राप्त किये जाने वाले माल और उस पर लगने वाले GST की पूरी जानकारी होगी| E-Way Bill के आधार पर ही GST Officers ट्रांसपोर्ट किये गए माल की चेकिंग करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सकते कि माल पर उचित GST लगाया जा चुका हैं| GST से पहले Sales Tax या VAT कानून में Road Permit का प्रावधान था, जो GST के लागू होने के बाद E-Way Bill के रूप में जारी होगा|

E-Way बिल कब Issue करना पड़ेगा – Mandatory Requirement

GST के अंतर्गत 50,000 रूपये से अधिक माल भेजने या प्राप्त करने पर E-Way Bill जारी करना अनिवार्य हैं| 50000 से कम के माल पर E-Way बिल जारी करना आवश्यक नहीं हैं लेकिन Supplier या Receiver अपनी इच्छानुसार जारी कर सकता हैं|

E-Way किस समय (Time) और कैसे जारी करना है

E-way bill को माल के मूवमेंट शुरू होने से पहले यानि की वस्तु का ट्रांसपोर्टेशन शुरू होने से पहले GST Common Portal (gst.gov.in) पर Online जारी करना पड़ेगा| ई-वे बिल जीएसटी कॉमन पोर्टल पर GST INS-1 Form में जारी होगा| E-Way बिल के जारी होने पर एक unique E-way bill number (EBN) प्राप्त होगा जिसकी जानकारी माल के Supplier, Transporter और Recipient को GST Common Portal (gst.gov.in) पर पता चल जाएगी| सरकार SMS द्वारा E-way bill जारी करने की भी सुविधा देगी|


E-way Bill कौन जारी करेगा

अगर माल को रजिस्टर्ड सप्लायर या रिसीवर अपने ही ट्रांसपोर्ट व्हीकल में भेज रहे हैं या रिसीव कर रहे हैं तो उन्हें GST Common Portal पर जाकर माल को रवाना करने से पहले E-way bill जारी करना पड़ेगा
अगर माल ट्रांसपोर्टर के माध्यम से भेजा जा रहा हैं तो माल को ट्रांसपोर्टर को सौंपने से पहले, सप्लायर या रिसीवर E-way Bill जारी कर सकता हैं| अगर सप्लायर या रिसीवर ने E-way bill जारी नहीं किया है और माल ट्रांसपोर्टर को सौंप दिया हैं तो फिर E-Bill ट्रांसपोर्टर के द्वारा जारी किया जाएगा और कुछ जानकारी Supplier या receiver के द्वारा भरी जाएगी|

Form GST INS-1 क्या हैं

E-Way bill को form GST INS-1 में ही issue किया जाता हैं| इस Form के Part-A में माल की जानकारी होती हैं और Part-B में Transporter की जानकारी होती हैं|



जीएसटी प्रैक्टिशनर कौन बन सकता हैं ? Who can become GST Tax Practitioner (Hindi)


GST प्रैक्टिशनर का क्या अर्थ हैं – What is the meaning of GST Practitioner

GST क़ानून के तहत किसी भी करदाता को विभिन्न प्रकार के कार्य करने होते हैं जैसे GST का रजिस्ट्रेशन करना, GST के रिटर्न फाइल करना आदि| GST कानून के अनुसार कोई भी करदाता चाहे तो इस प्रकार के काम GST प्रैक्टिशनर के द्वारा भी करवा सकता हैं| GST प्रैक्टिशनर सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त वह व्यक्ति होता हैं जिसको करदाता अपने GST सम्बंधित कार्य करने की अनुमति देता हैं|

GST Practitioner कौन बन सकता हैं? Who Can Become GST Practitioner

GST क़ानून के अनुसार जीएसटी प्रैक्टिशनर बनने के लिए निम्न योग्यता (Eligibility) आवश्यक हैं :-
    1. Basic Eligibility
  • भारत का नागरिक होना – Indian Citizen
  • मानसिक संतुलन सही होना – Sound Mind
  • दिवालिया न होना – Solvent
  • न्यायालय द्वारा किसी भी ऐसे अपराध में दोषी न पाया जाना जिसमें कम से कम दो वर्ष की सजा हो – not been convicted by a competent court for an offence with imprisonment not less than two year
    1. Education and Work Experience
  • कॉमर्स, लॉ, बैंकिंग, ऑडिटिंग, बिज़नेस मैनेजमेंट आदि में ग्रेजुएट या पोस्ट ग्रेजुएट होना – graduate or postgraduate degree or its equivalent examination, having a degree in Commerce, Law, Banking including Higher Auditing, or Business Administration or Business Management. या
  • ऐसा व्यक्ति जिसने Chartered Accountancy(CA), Company Secretaries (CS) या Cost Accountancy Course की फाइनल परीक्षा पास कर ली हैं और उसके पास किसी भी यूनिवर्सिटी की डिग्री हैं| या
  • राज्य सरकार के कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट (Commercial Tax Department) या केंद्रीय उत्पाद और सेवा कर (CBEC) का रिटायर्ड अधिकारी (Retired Officer)|

GST Practitioner बनने के लिए क्या करना पड़ता हैं? – How to Become GST Practitioner:

GST Practitioner बनने के लिए GST Portal पर Online Application दाखिल करनी पड़ेगी हैं जो की जीएसटी लागू होने के बाद ही की जा सकेगी|

जीएसटी रजिस्ट्रेशन कैसे करें – How to Apply For GST Registration in Hindi

Online GST Registration Process

July 2017 से GST लागू हो चुका है और सभी व्यवसाय जो GST में Registration लेने के लिए उत्तरदायी हैं उन्हें GST के अंतर्गत Online Registraton करवाना पड़ेगा| जो व्यक्ति पहले से ही VAT, Service Tax या Excise में Registered है, उन्हें अब GST में Migration करवाना पड़ेगा|
जो व्यक्ति GST में Registration करवाना चाहते है, वो GST Common Portal पर जाकर अपनी सारी Information और Document के साथ GST Regstration कर सकते है|
अगर आपका व्यवसाय छोटा हैं और आपको GST की समझ हैं तो आप खुद ही GST का रजिस्ट्रेशन और अन्य फाइलिंग सम्बंधित काम कर सकते हैं| लेकिन अगर आपका व्यवसाय थोड़ा बड़ा है और आपको GST के बारे ज्यादा जानकारी नहीं हैं तो किसी CA या GST Expert से ही GST सम्बंधित कार्य करवाने चाहिए ताकि कोई समस्या ना हो|

Taxable Person

GST में 20 लाख रूपये (पूर्वोत्तर राज्यों में 10 लाख रूपये) तक की छूट हैं| ऐसे व्यवसाय जिनका Annual Turnover छूट सीमा से कम हैं उन्हें सामान्यत: रजिस्ट्रेशन लेना जरूरी नहीं होता| लेकिन फिर भी कुछ परिस्थतियों में Turnover कम होने पर भी रजिस्ट्रेशन लेना अनिवार्य हैं|

Documents Required

GST Regstration में आपको मुख्य रूप से व्यवसाय और मालिक (owner/proprietor/partners/directors) सम्बन्धी Original Documents की Scan Copy की जरूरत होती हैं| Proprietorship, Partnership और Company के GST Registration के लिए सभी जरूरी डाक्यूमेंट्स की पूरी लिस्ट – 

GST Registration – Documents Checklist

GST में Registration Online होता हैं और इसके लिए सामान्यत: physical documents भेजने की आवश्यकता नहीं होती| सभी Original Documents की Scan Copy सीधे Online अपलोड की जाती हैं| GST रजिस्ट्रेशन के लिए मुख्य रूप से दो तरह के डाक्यूमेंट्स की जरूरत पड़ती हैं –
  1. व्यवसाय के मालिक या मुख्य व्यक्तियों से जुड़े Documents – PAN Card, Photos, Aadhar Number etc.
  2. व्यावसाय से जुड़े डाक्यूमेंट्स – Business Address Proof (Ownership or Rent Agreement), Authorized Signatory, Bank Statement/Passbook, MOA, AOA, Registration Certificate

Documents required for Sole proprietorship/Individual  – एकल व्यवसाय के लिए डाक्यूमेंट्स

प्रॉपरायटरशिप या एकल व्यवसाय में GST Registration के लिए आपको निम्न डाक्यूमेंट्स की जरूरत होती हैं:-
1. PAN Card, Identity Proof, Address Proof (Aadhar card) and Photograph of Proprietor
2. Address Proof for Business Place:
Any Ownership Proof (electricity bill, landline bill,  water Bill etc.)  or
Rent agreement & NOC From Owner (in case premises are rented)
3. Scanned Copy of Cancelled Check or First Page of Bank Passbook

Documents required for Normal Partnerships – पार्टनरशिप फर्म के लिए डाक्यूमेंट्स

    – Partnership documents
  • PAN card of the Partnership
  • Partnership Deed
  • Copy of Bank Statement
  • Declaration to comply with the provisions
  • Letter for Appointment of Authorized Signatory
    – Partner related documents
  • PAN and ID proof of designated partners
    – Registered Office documents
  • Copy of electricity bill/landline bill,  water Bill
  • No objection certificate of the owner
  • Rent agreement (in case premises are rented)

Documents required for Private Limited Company (Pvt Ltd)/Public Company (limited company)/One person company (OPC) – कंपनी के लिए डाक्यूमेंट्स:

    – Company documents
  • PAN card of the company
  • Registration Certificate of the company
  • Memorandum of Association (MOA) /Articles of Association (AOA)
  • Copy of Bank Statement
  • Declaration to comply with the provisions
  • Copy of Board resolution
  • Letter for Appointment of Authorized Signatory
    – Director related documents
  • PAN and ID proof of directors
    – Registered Office documents
  • Copy of electricity bill/landline bill,  water Bill
  • No objection certificate of the owner
  • Rent agreement (in case premises are rented)

 Documents required for Limited Liability Partnerships (LLP) – लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप के डाक्यूमेंट्स:

    – LLP documents
  • PAN card of the LLP
  • Registration Certificate of the LLP
  • LLP Partnership agreement
  • Copy of Bank Statement of the LLP
  • Declaration to comply with the provisions
  • Copy of Board resolution
  • Letter for Appointment of Authorized Signatory
    – Designated Partner related documents
  • PAN and ID proof of designated partners
    – Registered Office documents
  • Copy of electricity bill/landline bill,  water Bill
  • No objection certificate of the owner
  • Rent agreement (in case premises are rented)


GST Registration कैसे करे 

GST Registration Part – A

सबसे पहले आपको इस Website पर जाना होगा:- gst.gov.in. उसके बाद आपको निचे की तरफ left side में Taxpayers (Normal) के नीचे Register Now के option पर click करना होगा|
उसके बाद कुछ इस तरह का page खुलेगा:-






जिसमे आपको New Registration के option को select करके, अपनी जानकारी भरनी होगी| उसके बाद image text को भर कर Proceed पर click कर देना है|
उसके बाद जो आपने अपनी जानकारी में Email id और Mobile no. लिखें है, उस पर आपको अलग अलग OTP प्राप्त होंगे| जो आपको अगले page पर सही-सही भरने होंगे, उसके बाद Proceed के option पर click कर दे|
जैसे ही आप Proceed पर click करेंगे, आपको एक Temporarily Reference Number (TRN) मिलेंगे उसे Save कर ले| क्योकि जब तक आपका Registration पूरा नहीं हो जाता, ये TNR आपके बहुत काम आएंगे| अगर आप वापस login in करना चाहते है, तो आप इन TRN के जरिये ही कर पाएंगे|
TRN Save करने के बाद Proceed पर click करते ही आपका GST Registration का Part- A पूरा हो जाएगा|

GST Registration Part -B

इसके बाद आपको Part B को पूरा करना होगा| TRN Save करने के बाद Proceed पर click करते ही आप Next Page पर पहुंचेंगे| आप होम पेज पर जाकर Taxpayer में “Register Now” पर क्लिक करके भी इस पेज तक पहुँच सकते हैं|
आपके सामने New Registration और Temporarily Reference Number (TRN) का option होगा, अब आपको Temporarily Reference Number (TRN) को select करना है|



 अब उसके नीचे TRN भर देना है और image text को भर कर Proceed के option पर click कर दे|
जिसके बाद आपके Mobile no. पर और Email id पर एक जैसा ही OTP आएंगा, उसे अगले page पर Mobile / Email OTP के कोलम में भर कर Proceed पर click कर दे|
इसके बाद आपके सामने आपकी Saved Application का Draft होगा| जिसके Right side में दिख रहे Action के कोलम में Edit के option पर click करना है|



click करते ही आपको दस तरह के option दिखाई देंगे| जिसमे आपको Document के हिसाब से Information भरनी पड़ेगी|

Column 1 – Business Details

जिसमे आपको अपने Business की पूरी जानकारी देनी होगी| जैसे:- Name of Business, Trade Name, व्यापार किस तरह का है (Constitution of Business), PAN no., District Name, State की Details, Commissionerate Code, Divison Code, Range Code आदि select करना होगा, आपको Registration लेने का कारण बताना होगा, व्यापार शुरू करने की Date डालनी होगी, उसके बाद आपको आपके पहले वाले Registration की जानकारी डालनी होगी और फिर Save & Continue पर click कर देना है|

Column 2 – Promoter / Partners

जिसमे आपको अपनी Details यानी Personal details देनी होगी| जैसे:- आपका Name, Father Name, mobile no., email id, DOB आदि| फिर नीचे Identity Information में यदि आप Promoter है तो अपनी Details नहीं तो Partner की Details देनी होगी| उसके बाद Residential Address देना होगा, और उसके बाद Document upload करना होगा| जिसकी Size 100 kb से ज्यादा नहीं होना चाहिए, फिर Save & Continue पर click करना है|

Column 3 – Authorized Signatory

इसमे आपको Primary Authorized Signatory जोड़ना होगा, और अपनी details जैसे:- Name, Phone no., Email address देनी होंगी| फिर Identify information और Residential Address भर कर Document Uplade करने होंगे| जिसमे Authorizetion का proof और एक Photo होगा, फिर Save & Continue पर click के दे|

Column 4 – Authorized Representative

इसमे YES या NO चुन कर Save & Continue पर click के देना है| अगर आप Yes पर click करते है, तो आपको उसकी Details भरनी होंगी|

Column 5 – Principal Place of Business

इस Column में आपको अपनी Business की सारी Details भरनी होंगी| जैसे: – Business unit address, nature of the Place, nature of business आदि भरकर Business place का Address Proof उपलोड करके Save & Continue पर click कर देना है|

Column 6 – Additional Place Of Business

अगर आपका Business किसी अन्य जगह पर भी है, तो आप उसकी Details यहाँ भर सकते है| उसके बाद Save & Continue पर click कर दे|

Column 7Goods and service

इसमें आपको HSN Code और SAC Code की Details देनी होगी और कम से कम Top 5 Goods and service की Details देनी होगी, फिर Save & Continue पर click कर देना है|

Column 8 – Bank Accounts

इस Column में आपको अपने Bank A/C की Details देनी होगी, और Proof of Details of Bank A/C में Document Upload करके Save & Continue पर click कर देना है|

Column 9 – State Specific Information

इसमे State Specific Information हो तो भर देनी है, नहीं तो Save & Continue पर click करके आगे बढ़ जाए|

Column 10 – Verification

इसमे आपको Verification के नीचे tick करके Name of Authorized Signatory, Place और Date select करना है| फिर आप इसे DSC, E-Signature या EVC के द्वारा Submit कर सकते है| जिसके बाद आपको 15 दिनों के अन्दर एक Acknowledgement Number दे दिया जाएगा| जिससे आप अपने GST Registration के Status को Check कर सकते है|
Submit करने के कुछ दिनों बाद अगर अधिकारी आपकी दी गई जानकारी से सहमत होता है, तो आपका GST Registration पूरा हो जाएगा| जिसके बाद आपको एक GST no., Username और Password मिल जाएंगे|







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